नई दिल्ली/वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार तीसरे दिन यह दावा किया कि भारत को ‘वोटर टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर की राशि दी गई है। हालांकि, इस दावे के विपरीत एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अनुदान भारत को नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए मंजूर किया गया था।
ट्रंप ने उठाया सवाल, भारत को मिले फंड का मुद्दा गरमाया
राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को ‘वोटर टर्नआउट’ बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर दिए जा रहे हैं… लेकिन हमारे देश में क्या? मैं भी तो मतदान बढ़ाना चाहता हूं।”
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अन्य देशों को फंडिंग देने में लगा हुआ है, जबकि खुद अमेरिका में भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की जरूरत है।
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांग्लादेश को दी गई 2.9 करोड़ डॉलर की अमेरिकी सहायता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह रकम “एक ऐसी फर्म को दे दी गई, जिसके बारे में किसी ने कभी सुना ही नहीं था। उस फर्म में केवल दो लोग काम कर रहे थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस धनराशि का उपयोग बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए किया गया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह किस आधार पर और किन प्रक्रियाओं के तहत दिया गया।
ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। अमेरिकी सरकार की एजेंसी यूएसएड (USAID) की ओर से कथित तौर पर भारत को दिए गए इस फंडिंग का मुद्दा कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच टकराव का कारण बन गया है।
कांग्रेस ने इस पर मोदी सरकार से जवाब मांगा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यदि भारत को वास्तव में यह धनराशि दी गई है, तो सरकार को इसकी पूरी पारदर्शिता के साथ जानकारी देनी चाहिए।
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारत को किसी भी प्रकार की विदेशी फंडिंग की आवश्यकता नहीं है और यह पूरी तरह से ट्रंप के भ्रमित करने वाले बयानों का हिस्सा है।
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप द्वारा बताए गए 2.1 करोड़ डॉलर का अनुदान भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए था।
रिपोर्ट के मुताबिक, “यूएसएड की इस फंडिंग का उद्देश्य बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना था।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप चुनावी माहौल में अमेरिका की फंडिंग नीतियों को लेकर मतदाताओं को प्रभावित करना चाहते हैं। उनके बयान का मकसद यह दिखाना हो सकता है कि अमेरिका अन्य देशों में पैसा बहा रहा है, जबकि अपने घरेलू मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा।
भारत सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिकी चुनावी राजनीति में अनावश्यक रूप से घसीटा जा रहा है।