लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को उन्होंने बाढ़ संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने नदी की स्थानीय परिस्थितियों का अध्ययन करने, ड्रेजिंग को प्राथमिकता देने और तटबंधों की सतत निगरानी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि किसी नदी के मुख्य प्रवाह में सिल्ट जमा हो रही है और वह उथली हो गई है, तो ड्रेजिंग (गाद निकालना) को प्राथमिकता दी जाए और नदी को चैनलाइज किया जाए। यदि ड्रेजिंग से समस्या हल नहीं होती है, तब ही तटबंध अथवा कटान निरोधी अन्य उपायों को अपनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने ड्रोन सर्वेक्षण के जरिए प्रदेश की नदियों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील और संवेदनशील जिलों की पहचान कर वहां आवश्यक कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने बाढ़ नियंत्रण और जन-जीवन की सुरक्षा को लेकर किए गए कार्यों की समीक्षा की और कहा कि प्रदेश में बाढ़ नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में कमी आई है।
सीएम योगी ने कहा कि आधुनिकतम तकनीक के उपयोग से बाढ़ की समस्या को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। उन्होंने विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि बाढ़ से बचाव के लिए अंतर-विभागीय समन्वय से बेहतर कार्य हुआ है।
बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई ने जानकारी दी कि 2018-19 से अब तक 1,575 बाढ़ सुरक्षा परियोजनाएं पूरी की गई हैं। वर्ष 2024-25 में 305 नई परियोजनाएं पूरी की गई हैं, जिनसे 4.97 लाख हेक्टेयर भूमि और 60.45 लाख लोगों को बाढ़ से राहत मिली है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि वर्तमान वर्ष की तय परियोजनाओं का कार्य प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में देरी से न केवल काम प्रभावित होता है, बल्कि बजट भी बढ़ता है। इसलिए सभी योजनाओं को तय समयसीमा में पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी परियोजना का बजट पुनरीक्षण नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 24 जिले अति संवेदनशील और 16 जिले संवेदनशील श्रेणी में हैं।
अति संवेदनशील जिले
- महाराजगंज
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- गोरखपुर
- बस्ती
- बहराइच
- बिजनौर
- सिद्धार्थनगर
- गाजीपुर
- गोण्डा
- बलिया
- देवरिया
- सीतापुर
- बलरामपुर
- अयोध्या
- मऊ
- फर्रुखाबाद
- श्रावस्ती
- बदायूं
- अंबेडकर नगर
- आजमगढ़
- संतकबीर नगर
- पीलीभीत
- बाराबंकी
संवेदनशील जिले
- सहारनपुर
- शामली
- अलीगढ़
- बरेली
- हमीरपुर
- गौतमबुद्ध नगर
- रामपुर
- प्रयागराज
- बुलंदशहर
- मुरादाबाद
- हरदोई
- वाराणसी
- उन्नाव
- लखनऊ
- शाहजहांपुर
- कासगंज
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित जिलों में विभागीय अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहना होगा। अति संवेदनशील तटबंधों का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण अनिवार्य किया गया है।
सीएम योगी ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ से बचाव के लिए 3,869 किमी लंबाई के 523 तटबंध और 60,047 किमी लंबाई की 10,727 ड्रेनेज नहरें (ड्रेन) बनी हुई हैं।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए और सभी ड्रेन की सफाई 31 मार्च 2025 तक पूरी कर ली जाए। इसके अलावा, राज्य और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूम को 24×7 एक्टिव मोड में रखने का आदेश दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से श्रावस्ती, गोण्डा, सीतापुर, हरदोई और बाराबंकी में बाढ़ सुरक्षा से जुड़े कार्यों को तय समय में गुणवत्ता के साथ पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों में अवैध खनन को रोकने के लिए सतत निगरानी की जाए। इसके लिए विशेष टीमें बनाई जाएंगी, जो नदियों में हो रहे अवैध खनन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगी।
सीएम योगी ने कहा कि बाढ़ की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए स्थायी समाधान पर जोर दिया जा रहा है। इस दिशा में उठाए जा रहे कदमों में ड्रोन सर्वे, ड्रेजिंग, तटबंधों की निगरानी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग शामिल है।
उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि सरकार पूरी तरह तैयार है और बाढ़ से जन-धन की हानि को न्यूनतम करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।