लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के समापन पर श्रद्धालुओं को धन्यवाद दिया और इसके सफल आयोजन के लिए सभी के सहयोग की सराहना की। उन्होंने एक ब्लॉग लिखकर अपने भावनात्मक विचार साझा किए और कहा कि “अगर सरकार के प्रयासों में कोई कमी रह गई हो, तो मैं जनता-जनार्दन का क्षमाप्रार्थी हूं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा, “यह महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में, इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी।” उन्होंने महाकुंभ को विश्व स्तर पर भारत की एकता और संस्कृति की महान पहचान बताया।
प्रधानमंत्री ने लिखा, “मैं जानता हूं, इतना विशाल आयोजन आसान नहीं था। मैं प्रार्थना करता हूं, मां गंगा से, मां यमुना से, मां सरस्वती से… हे मां, हमारी आराधना में कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा करिएगा। …श्रद्धालुओं की सेवा में भी अगर हमसे कुछ कमी रह गई हो, तो मैं जनता जनार्दन का भी क्षमाप्रार्थी हूं।”
उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दृश्यों को देखकर, “बहुत शुरू से ही मेरे मन में जो भाव जगे, वे पिछले 45 दिन में और अधिक पुष्ट हुए हैं। राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को लेकर मेरी आस्था, अनेक गुना मजबूत हुई है।”
प्रधानमंत्री मोदी के इस भावुक संदेश पर समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “भूल-चूक सबसे होती है, लेकिन क्षमा वही मांगता है, जो बड़ा दिल वाला हो।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों एक-दूसरे की तारीफ करते हैं, लेकिन जब जनता तारीफ करे, तब माना जाता है। क्षमा मांगना किसी के बड़प्पन को दर्शाता है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।”
अवधेश प्रसाद ने संभल मस्जिद से जुड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर कहा कि “अभी मैंने इस आदेश को देखा नहीं है।” हालांकि, उन्होंने इस पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं की।
महाकुंभ के सफल आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री ने ब्लॉग में लिखा कि “प्रयागराज में 140 करोड़ देशवासियों ने जिस तरह एकता के महाकुंभ को आज के विश्व की एक महान पहचान बना दिया, वह अद्भुत है।” उन्होंने आयोजन में सहयोग देने वाले सभी लोगों का आभार जताया और इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अभूतपूर्व उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री मोदी के इस भावुक संदेश को सोशल मीडिया पर भी व्यापक समर्थन मिल रहा है। लोग इसे उनकी सरलता और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक मान रहे हैं।