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यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा – अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर हस्ताक्षर को तैयार

लंदन। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह अभी भी अमेरिका के साथ एक खनिज समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह बयान लंदन में पश्चिमी नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन के बाद दिया। ज़ेलेंस्की ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बैठक में तीखी बहस के बावजूद वह अमेरिका के साथ रचनात्मक वार्ता करने को इच्छुक हैं।

बीते शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और ज़ेलेंस्की की बैठक में तीखी नोकझोंक हुई थी। इस कारण, अमेरिका और यूक्रेन के बीच प्रस्तावित खनिज समझौते को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया गया था। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सौदे में यूक्रेन और अमेरिका के संयुक्त स्वामित्व वाले एक फंड की स्थापना का प्रस्ताव था।

मसौदा समझौते के तहत, यूक्रेन अपने महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों, जिसमें तेल, गैस और दुर्लभ खनिज शामिल हैं, के भविष्य के मुद्रीकरण से होने वाले राजस्व का 50% इस फंड में योगदान देता। लेकिन ट्रम्प और ज़ेलेंस्की के बीच हुए मतभेदों के कारण यह समझौता ठंडे बस्ते में चला गया।

हालांकि, शिखर सम्मेलन के बाद ज़ेलेंस्की ने अपने बयान में कहा कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। लेकिन हम अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार हैं और बेहतर शर्तों पर एक नया समझौता करना चाहते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि उनका देश यूरोपीय संघ और नाटो में अपनी सदस्यता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और पश्चिमी देशों का सहयोग चाहता है।

इस बैठक के दौरान यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दोहराया। हालांकि, अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों में बढ़ती दूरी को लेकर विशेषज्ञ चिंतित हैं। अमेरिका में नवम्बर 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद, जब ट्रम्प दोबारा सत्ता में आए, तो उनकी यूक्रेन नीति पहले की तुलना में कम सहायक नजर आई।

ट्रम्प ने यूक्रेन को वित्तीय सहायता देने को लेकर कुछ शर्तें रखी थीं, जिन पर ज़ेलेंस्की और उनकी सरकार को आपत्ति थी। लेकिन अब ज़ेलेंस्की का यह बयान यह संकेत देता है कि वह अमेरिका के साथ नए सिरे से संबंध स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं।

यूक्रेन के पास महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों की विशाल संपदा है, और अमेरिका इससे रणनीतिक साझेदारी करने में रुचि रखता है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश आपसी सहमति से किस प्रकार का नया समझौता करने में सफल होते हैं।

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