‘नादानियां’ फिल्म रिव्यू: इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर की मासूमियत भरी प्रेम कहानी

मुंबई। अभिनेता सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान की डेब्यू फिल्म ‘नादानियां’ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हो चुकी है। इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म का निर्देशन नवोदित निर्देशक शौना गौतम ने किया है और इसमें मुख्य भूमिकाओं में खुशी कपूर, दीया मिर्जा, सुनील शेट्टी, जुगल हंसराज, अपूर्वा मखीजा और आलिया कुरैशी नजर आ रहे हैं।

फिल्म युवा प्रेम, दोस्ती और परिवार के संघर्षों को दर्शाती है और इसे 4 स्टार की शानदार रेटिंग दी गई है। 1 घंटा 59 मिनट की इस फिल्म में इब्राहिम और खुशी कपूर की जोड़ी दर्शकों को आकर्षित कर रही है।

‘नादानियां’ की कहानी अर्जुन मेहता (इब्राहिम अली खान) और पिया जयसिंह (खुशी कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों स्कूली जीवन से लेकर पारिवारिक आयोजनों तक साथ नजर आते हैं। कहानी की शुरुआत तब होती है, जब पिया खुद को एक अजीब स्थिति में पाती है—उसे अपने दोस्तों को यह साबित करना होगा कि वह किसी को डेट कर रही है।

समस्या का हल निकालने के लिए पिया अर्जुन को अपने बॉयफ्रेंड बनने के लिए पैसे देने का प्रस्ताव देती है। अर्जुन, जो कि एक होनहार छात्र और वाद-विवाद टीम का स्कॉलर है, इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है। इस तरह से ‘किराए के बॉयफ्रेंड’ की पुरानी कहावत एक बार फिर सिनेमा में लौटती है और दोनों की ‘नादानियां’ शुरू हो जाती हैं।

फिल्म की कहानी तेजी से सेट हो जाती है और दर्शकों को एक आकर्षक गति से आगे बढ़ते हुए रोमांटिक और इमोशनल सफर पर ले जाती है। निर्देशक शौना गौतम ने युवा पीढ़ी के प्रेम और पारिवारिक संघर्षों को खूबसूरती से संतुलित किया है।

पहला भाग हल्का-फुल्का और मनोरंजक है, जिसमें युवा प्रेम, दोस्ती और स्कूल लाइफ को फोकस किया गया है, जबकि दूसरा भाग अधिक भावनात्मक है, जहां माता-पिता के संघर्ष भी कहानी का अहम हिस्सा बन जाते हैं।

फिल्म में स्कूल लाइफ को बड़े स्तर पर प्रस्तुत किया गया है—स्कूल यूनिफॉर्म भी औसत से अधिक स्टाइलिश नजर आती हैं और सेटिंग वास्तविकता से कहीं अधिक ग्लैमरस लगती है।

इब्राहिम अली खान ने अपने डेब्यू में यह साबित कर दिया है कि वह सिर्फ स्टार किड नहीं, बल्कि एक शानदार अभिनेता भी हैं। उनकी मुस्कान और स्क्रीन प्रेजेंस को देखकर उनके पिता सैफ अली खान की झलक साफ नजर आती है।

खुशी कपूर ने अपने चुलबुले और उत्साही किरदार पिया को बखूबी निभाया है। वह सिर्फ एक हंसमुख लड़की नहीं, बल्कि अंदर से कई भावनात्मक संघर्षों से गुजर रही लड़की का किरदार भी पूरी गहराई से जीती हैं।

वहीं, सुनील शेट्टी, दीया मिर्जा, जुगल हंसराज और महिमा चौधरी जैसे कलाकारों की मौजूदगी फिल्म को और अधिक भावनात्मक मजबूती देती है। लंबे समय बाद इन कलाकारों को स्क्रीन पर देखना एक अलग ही अनुभव देता है।

फिल्म का संगीत सचिन-जिगर ने दिया है, जो इसकी कहानी को और अधिक गहराई देता है। ‘इश्क में’ और ‘तिरकत धूम’ जैसे गाने दर्शकों को लंबे समय तक याद रहेंगे। टाइटल ट्रैक सुनकर ‘वेक अप सिड’ के म्यूजिकल कोरस की याद आ जाती है।

हालांकि, पटकथा को और अधिक सटीक बनाया जा सकता था और संवाद अदायगी को और बेहतर किया जा सकता था, लेकिन कुछ मासूम पलों के कारण फिल्म दर्शकों के दिल को छू जाती है।

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