वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि उनके पास यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने की कोई ठोस योजना नहीं है, जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं।
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “वे [यूरोपीय नेता] एक बहुत ही असामान्य स्थिति में हैं। वे नहीं जानते कि युद्ध को कैसे समाप्त किया जाए। मुझे लगता है कि मैं जानता हूं कि युद्ध को कैसे समाप्त किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने पिछले सप्ताह या उससे पहले यूरोप में हो रही घटनाओं पर नज़र रखी। अगर हम यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने में असफल रहे, तो यह मामला तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है।”
ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वह रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए नई रणनीति बनाएंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की कमजोरी के कारण यह संघर्ष लंबा खिंच रहा है।
ट्रंप के इस बयान के बाद यूरोपीय नेताओं ने उनकी टिप्पणी की आलोचना की। यूरोपीय संघ (ईयू) की विदेश नीति प्रमुख काजा कालस ने कहा, “यूरोप को बाहरी सलाह की आवश्यकता नहीं है। हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने भी ट्रंप के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “यूक्रेन की जनता अपने भविष्य को लेकर खुद निर्णय लेगी, और हमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं जो हमें यह बताए कि युद्ध कैसे समाप्त किया जाए।”
ट्रंप पहले भी यह दावा कर चुके हैं कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो रूस-यूक्रेन युद्ध कभी शुरू नहीं होता। उन्होंने कहा था कि पुतिन उनके कार्यकाल के दौरान ज्यादा आक्रामक नहीं थे क्योंकि उन्हें पता था कि अमेरिका कड़ा रुख अपना सकता है।
हालांकि, ट्रंप की यह टिप्पणी भी विवाद का विषय बनी हुई है, क्योंकि उनके कार्यकाल में भी रूस ने कई आक्रामक कदम उठाए थे, जिनमें क्रीमिया पर कब्जा शामिल था।
वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि अमेरिका यूक्रेन के समर्थन में खड़ा रहेगा। बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को और अधिक सैन्य सहायता देने का निर्णय लिया है, जिससे युद्ध क्षेत्र में संतुलन बना रहे।
अमेरिका और यूरोपीय देशों का मानना है कि रूस पर लगातार दबाव बनाए रखना ही युद्ध को समाप्त करने का सबसे सही तरीका है। हालांकि, ट्रंप की टिप्पणी से यह साफ हो गया है कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।