जम्मू। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में छह साल बाद राज्य का पहला बजट पेश किया। यह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पेश किया गया पहला बजट है, जिसे उमर अब्दुल्ला ने एक आर्थिक रोडमैप और जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब बताया।
विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इस बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का समर्थन करने वाला बताया। इसके जवाब में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर केंद्र सरकार की नीयत जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छी है, तो हम उनके साथ आगे बढ़ने को तैयार हैं। लेकिन यह बजट प्रधानमंत्री मोदी का नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर की जनता का बजट है।”
उन्होंने कहा कि आज विधानसभा में बजट पर चर्चा हो रही है, सवाल पूछे जा रहे हैं। क्या पिछले छह साल में ऐसा हुआ था? तब तो न प्रधानमंत्री जवाब देने आते थे, न वित्त मंत्री।”
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस बार बजट तैयार करने में जनता से सुझाव लिए गए, जो पहले कभी नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब बजट तैयार करने में नगरपालिका समितियों (MC) से भी विचार-विमर्श किया गया है। पिछले छह सालों में जो बजट संसद में पेश किए गए, वे स्पष्ट नहीं थे। हमें यह भी नहीं पता होता था कि किस क्षेत्र के लिए क्या आवंटित किया गया है।”
बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जोर दिया कि इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाना, क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना और राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रयासों को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा कि यह बजट न केवल जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि यह हमारे युवाओं और महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा करेगा, जिससे वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें।”
सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य अब स्थायी शांति की ओर बढ़ रहा है और इस बजट में सुरक्षा और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य जम्मू-कश्मीर को एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और विकसित राज्य बनाना है।”
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी जम्मू-कश्मीर का विकास चाहते हैं, तो हम उनके साथ हैं। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार का बजट है, न कि केंद्र सरकार का।”